v शीर्षक: गिरकर उठना ही जिंदगी है

शीर्षक: गिरकर उठना ही जिंदगी है

 शीर्षक: गिरकर उठना ही जिंदगी है

गिरकर उठना ही जिंदगी है


एक छोटा सा पौधा था। धूप की ओर बढ़ने की उसकी तीव्र इच्छा थी। उसने अपनी ओर बढ़ने के लिए हर संभव प्रयास किया। लेकिन तेज हवाएं उसे बार-बार नीचे गिरा देती थीं। उसने कई बार कोशिश की, लेकिन हर बार हार मानने का मन करता था।

तभी एक बुद्धिमान बूढ़ा आदमी उसके पास आया। उसने पौधे को कहा, "बेटा, गिरना कोई बुरी बात नहीं है। गिरकर उठना ही जिंदगी है। हर बार गिरने के बाद थोड़ा और मजबूत होकर उठो। जड़ें मजबूत होंगी तो हवाएं तुम्हें कभी नहीं गिरा पाएंगी।"

पौधे ने बूढ़े आदमी की बातों को ध्यान से सुना। उसने हर बार गिरने के बाद और अधिक मजबूती से जड़ें जमाईं। धीरे-धीरे वह मजबूत होता गया। अब तेज हवाएं उसे हिला तो देती थीं, लेकिन गिरा नहीं पाती थीं।

अंततः पौधा एक सुंदर पेड़ बन गया। उसकी शाखाएं आसमान को छूने लगीं। उसने सीखा था कि असफलताएं हमें कमजोर नहीं बनातीं, बल्कि हमें मजबूत बनाती हैं।

सीख: जीवन में असफलताएं आएंगी ही। लेकिन हमें हार नहीं माननी चाहिए। हर बार गिरने के बाद और मजबूती से उठना चाहिए। असफलताएं हमें सीख देती हैं, हमें मजबूत बनाती हैं। इसलिए, कभी भी हिम्मत मत हारो, क्योंकि सफलता आपके कदमों में है।

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